हरिद्वार,पिरान कलियर आने वाले की संख्या पर पाबंदी हटी, रजिस्ट्रेशन और आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी

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हरिद्वार, रूड़की शहर के बाहरी इलाके में हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद (सबीर) की दरगाह हर आगंतुक के लिए एक अति महत्वपूर्ण यात्रा स्थल है। यह हरिद्वार के दक्षिण की ओर स्थित है। यह जगह हिंदू और मुस्लिम धर्मों के बीच एकता का एक उदाहरण है और रहस्यमय शक्तियों के लिए प्रतिष्ठित है जो भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती है। दरगाह का दौरा भारत और विदेशों के लाखों भक्तों द्वारा किया जाता है। हर साल इस दरगाह पर उर्स मनाया जाता है।

साबिर पाक के सालाना उर्स में पिरान कलियर आने वाले जायरीनों को प्रशासन ने छूट दी है। बाहर से आने वाले जायरीनों के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरूरी है। वहीं सूफी संतों को दिया जाने वाला पारंपरिक लंगर बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।

मिलि जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने पिरान कलियर उर्स को लेकर भी गाइडलाइन में तब्दीली की है।डीएम के अनुसार अब कितने भी लोग दूसरे राज्यों से उर्स में शामिल हो सकते हैं। जायरीनों के पास सिटीजन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और आरटीपीसीआर की रिपोर्ट होनी चाहिए। वहीं सूफी संतों और जायरीनों को दिए जाने वाले लंगर को बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। उर्स के दौरान जायरीनों और सूफी संतों की संख्या बढ़ने पर दरगाह का पारंपरिक लंगर तीन गुना तक बढ़ा दिया जाता है, लेकिन इस बार गाइडलाइन में लंगर को आम दिनों के बराबर संचालित करने के निर्देश दिए गए थे। इससे उर्स में आने वाले हजारों जायरीन को लंगर से महरूम रहना पड़ सकता है।

होटलों को नहीं मिली अनुमति, जायरीनों को होगी दिक्कत
साबिर पाक के सालाना उर्स की मुख्य रस्मों में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में जायरीन कलियर पहुंचेंगे। जायरीनों के लिए खाने के लिए कोई बड़े होटल नहीं होने के कारण उनको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अभी तक प्रशासन ने होटल की अनुमति नहीं दी है। पिरान कलियर में सात अक्तूबर को मेहंदी डोरी की रस्म के साथ सालाना उर्स का आगाज हो गया था। साबिर पाक के सालाना उर्स में सूफियों और संतों का आना शुरू हो गया है।

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