हरिद्वार , छठ पर्व, छइठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिंदू पर्व है. सूर्य उपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. यह पर्व मैथिल, मगध और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा पर्व है. ये उनकी संस्कृति है. यह पर्व दो बार मनाया जाता है, पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में मनाया जाता है. छठ पर्व बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये एकमात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार की संस्कृति बन चुका है. यह पर्व बिहार की वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता है. ये पर्व मुख्यः रूप से ॠषियों की ओर से लिखे गए ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है. आज छठ महापर्व की शुक्रवार को शुरुआत हो गई है वही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई इस दिन को देखते हुए घाटों पर पहले से ही साफ सफाई कर दी गई थी प्रात:काल स्नान के बाद कद्दू और चने की दाल से बनी सब्जी के साथ चावल का भोग ग्रहण करने के बाद छठ पर्व का व्रत शुरू हुआ।
मिली जानकारी अनुसार 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद शनिवार शाम को ‘खरना’ का आयोजन होगा। खरने में गुड़ और दूध से बनी खीर खाई जाती है। खीर को प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती लोग रविवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे और सोमवार को प्रात:काल में उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा।
हरिद्वार में नहाय खाय की रस्म से पहले महिलाएं कलश यात्रा निकालेंगी। हर साल हरिद्वार में भी बड़ी संख्या में छठ पर्व पर आस्था का सैलाब देखने को मिलता है। गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में व्रती महिलाएं छठ मैया की उपासना करती हैं। उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार के हजारों लोग हरिद्वार में रहते हैं। बीएचईएल के अलावा सिडकुल, बहादराबाद औद्योगिक इकाइयों के साथ ही अन्य क्षेत्रों में नौकरी पेशे से जुड़े हुए हैं।
शुद्धिकरण के बाद नहाय खाय होगा. जबकि, 29 को खरना में मीठी खीर का भोग लगाया जाएगा. मुख्य पर्व 30 अक्टूबर को होगा. उस दिन शाम के समय महिलाएं पानी में उतरकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. जबकि, 31 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ का समापन होगा.