हरिद्वार, कुम्भ के दौरान कारोनो की फर्जी तरीके से रिपोट लेकर श्रद्धालुओं ने हरिद्वार प्रवेश किया जिसके बाद कारोनो के फर्जी टेस्टिंग को मुकदमा दर्ज किया गया वही इसकी जांच के लिए एसआईटी की टीम का गठन किया गया वही बताया जा रहा है कि एसआईटी की टीम द्वारा किए गए डाटा की जांच के बाद इन लोगों को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इस मामले में मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, नलवा लैब हिसार व डॉक्टर लाल चंदानी लैब को सीएमओ हरिद्वार डॉ. एसके झा की तहरीर पर नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज है। एसआईटी ने मेला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से भी इस मामले में पूछताछ की थी। वहीं उनके कार्यालय से पिछले दिनो रिकॉर्ड भी अपने कब्जे में लिए थे। जांच अधिकारी राजेश शाह ने बताया कि बुधवार को कुछ लोगों से पूछताछ की गई थी।
आज एसआईटी को बड़ी कामयाबी मिली जिसमेंकुंभ कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में एसआइटी ने भिवानी (हरियाणा) के एक लैब संचालक को गिरफ्तार किया है। इस प्रकरण में यह पहली गिरफ्तारी है। पुलिस ने अदालत से आरोपित का तीन का रिमांड भी हासिल कर लिया। फर्जीवाड़े में नामजद मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नई दिल्ली के साझीदारों शरत पंत और मल्लिका पंत ने अपने स्तर पर ही इस लैब को टेस्टिंग में शामिल कर लिया था, जबकि उनका अनुबंध हिसार (हरियाणा) की नलबा लैबारेटरी और नई दिल्ली की डा. लालचंदानी लैब से था। हरिद्वार कुंभ में जिन दो दर्जन फर्मों को कोरोना टेस्टिंग का ठेका दिया गया है, उनमें मैक्स कारपोरेट सर्विसेज भी है।विवेचनाधिकारी राजेश साह ने एसआइटी के साथ मिलकर इस मामले की पड़ताल की। छानबीन में सामने आया कि मैक्स कोरपोरेट सर्विसेज के पार्टनर शरत पंत व उसकी पत्नी मल्लिका पंत ने कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी को गुमराह करते हुए नलवा लैब हिसार और लालचंदानी लैब दिल्ली के साथ किए गए एक एमओयू के आधार पर कुंभ मेले कोविड टेङ्क्षस्टग का ठेका लिया। इसके बाद उन्होंने आपराधिक षडयंत्र रचकर डेलफिया लैब भिवानी (हरियाणा) को भी ठेके में शामिल कर लिया। जबकि यह लैब आइसीएमआर में कोविड टेस्ट के लिए अधिकृत भी नहीं था। स्वास्थ्य विभाग के साथ हुए अनुबंध में भी यह लैब शामिल नहीं थी। इस लैब को आशीष वशिष्ठ संचालित करता है।एसआइटी की पड़ताल में सामने आया है कि आशीष वशिष्ठ ने कोरोना टेङ्क्षस्टग की एवज में करीब चार करोड़ रुपये हासिल करने के लिए नलवा लैब हिसार से फर्जी बिल तैयार कर शरत पंत व मल्लिका पंत को उपलब्ध कराए। जांच में सामने आया कि जिन मोबाइल नंबरों पर 1.10 लाख कोरोना टेस्ट होना दिखाया में उसमें से हजारों मोबाइल इस्तेमाल में ही नहीं थे। ऐसे भी लोगों मोबाइल नंबर फर्जी रिपोर्ट में दर्ज थे, जो उस दौरान हरिद्वार आए ही नहीं थे।