हरिद्वार ,राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) के दरवाजे 100 के सफर के बाद आखिरकार लड़कियों के लिए खुल गए। इस कॉलेज के इतिहास में इसके साथ बड़ा बदलाव हो गया। पहली बार आरआईएमसी कैडेट के रूप में लड़कियों को प्रवेश मिला। बालिकाओं के लिए पांच सीटें रिजर्व थीं, लेकिन पहले बैच में फिलहाल सिर्फ दो ही लड़कियां इस बदलाव का प्रतीक बन पाईं। सेन्ट्रल कमांड के जनसंपर्क अधिकारी (Central Command Public Relations Officer) शांतनु प्रताप सिंह ने इसे कॉलेज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कक्षा 8 में प्रवेश लेने वाली इन दोनों बलिकाओं के बारे में बताया कि एक छात्रा हरियाणा की है जबकि दूसरी डे स्कॉलर छात्रा है और देहरादून की ही रहने वाली है.
सैन्य क्षेत्र में महिलाओं के लिए कॅरियर के अवसर बढ़ रहे हैं। पहले जहां महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन के रूप में नियुक्ति मिलती थी तो अब पूर्ण कॅरियर की राह खुली है। सेना के लिए बेहतर युवा तराशने वाले संस्थान आरआईएमसी में लड़कियों के प्रवेश की राह भी इस साल खुली। हाल में शुरू हुए सत्र में पांच सीटें रिजर्व करते हुए आवेदन मांगे गए थे। इसके लिए पूरे देशभर से 568 आवेदन प्राप्त हुए थे। RIMC की स्थापना 13 मार्च, 1922 को भारतीय युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी. ताकि बाद में उन्हें अधिकारियों के रूप में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया जा सके.
इंडियन मिलिट्री कॉलेज में प्रवेश के लिए हर साल दो बार परीक्षा आयोजित की जाती है। पहली परीक्षा जून और दूसरी परीक्षा दिसंबर में आयोजित की जाती है। अब तक इन परीक्षाओं में देशभर से 25 छात्रों को प्रवेश दिया जाता था। प्रवेश परीक्षा के आधार पर छात्रों को कक्षा आठ में प्रवेश मिलता था। आरआइएमसी के आबादी के हिसाब से राज्यवार कोटा निर्धारित है। इसके तहत उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के लिए दो-दो सीटें तय हैं, जबकि उत्तराखंड के लिए एक सीट है। इसी क्रम में अब उक्त 25 सीट के अलावा पांच छात्राओं के लिए भी आरआइएमसी में सीट रिजर्व है। जुलाई में आने वाले नए बैच में दो छात्राएं शामिल हुई हैं।
सेना पुलिस में भी महिलाओं की भर्ती की जा रही है। वहींमहिलाएं सेना में चिकित्सा, शिक्षा, कानून, इंजीनियरिंग सहित विभिन्न शाखाओं में अपनी सेवाएं दे रही हैं। अब युवतियां भी उसी प्रक्रिया से होकर सेना में आ रहीं हैं, जिस प्रक्रिया से युवक गुजरते हैं।