उत्तराखंड के यशवंत सिंह कठोच को मिला पद्मश्री

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हरिद्वार,उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को आज पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं। साथ ही इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं।

मिली जानकारी अनुसार डॉ यशवंत कठोच पौड़ी जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म जन्म 27 दिसंबर 1935 में एकेश्वर विकासखंड में मासौ गांव में हुआ. यशवंत कठोच उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार हैं. यशवंत कठोच ने कई साल तक शिक्षा के क्षेत्र में प्रधानाचार्य के रूप में सेवाएं दी. इसके बाद उन्होंने कई शोध कार्य किये. पुरातत्व के क्षेत्र में यशवंत कठोच को महत्वपूर्ण योगदान रहा

डॉ यशवंत कठोच ने 1974 में आगरा विवि से इतिहास की पढ़ाई की. 1978 में डॉ यशवंत कठोच ने हेमवती नंदन बहुगुणा विवि में शोध ग्रंथ समिट किये. जिसके बाद उन्हें डिफील की उपाधि मिली. डॉ यशवंत कठोच ने इतिहास, पुरातत्व से जुड़ी कई किताबें भी लिखी.

डॉ यशवंत सिंह कठोच ने बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दीं. वह टिहरी गढ़वाल के प्रतिष्ठित प्रताप इंटर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता भी रहे. वहीं डॉ कठोच ने कई इंटर कॉलेजों में बतौर प्रधानाचार्य कार्य किया. अपने कार्यकाल के दौरान भी वह निरंतर लिखते रहते थे. राजनीति शास्त्र के शिक्षक होने के बाद भी उनकी रुचि इतिहास और पुरातत्व में थी. रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी रुचि को जारी रखा और लगातार लेखन कार्य में जुटे रहे. उन्होंने इतिहास और पुरातत्व पर नवीनतम रिसर्च कर तथ्यों की प्रामाणिकता आदि पर विद्यार्थियों, शोधार्थियों व प्रोफेसरों के लिए किताबें लिखीं, जिनका प्रयोग आज भी छात्र और रिसर्चर करते हैं.उत्तराखंड के इतिहास पर कर चुके कार्य

89 साल के डॉ यशवंत सिंह कठोच अब तक 10 से अधिक किताबें लिखने के साथ 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन कर चुके हैं. मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परम्परा, संस्कृति के पद चिन्ह, मध्य हिमालय ग्रंथ माला समेत कई महत्वपूर्ण किताबें वह लिख चुके हैं, लेकिन उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन इतिहास’ ने उन्हें एक अलग पहचान दी. इस पुस्तक में डॉ कठोच ने वह सब शोध कर लिखा जो एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में लिखना छूट गया था. इस पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास की बारीकी से जानकारी है.

इतिहास को खोजने के बाद किताब में करते हैं दर्जडॉ कठोच की लिखने की शैली को लेकर एक किस्सा काफी प्रचलित है. दरअसल कठोच कण्वाश्रम पर एक लेख लिख रहे थे. यह लेख उन्होनें तकरीबन 20 साल पहले लिखा लेकिन इस लेख को लिखने के बाद भी उन्हें वह अनूभति नहीं हुई, तो वह स्वयं कण्वाश्रम के जंगल में गए. यहां पुरातत्व व अवशेषों को लेकर खुद शोध किया और तस्दीक की.

किन लोगों को मिलता है ये सम्मान?

पद्म पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, विज्ञान, लोक कार्य, समाज सेवा, इंजीनियरिंग, सिविल सेवा, व्यापार, उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं.

तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं पुरस्कार

  1. पद्म विभूषण- असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए.
  2. पद्म भूषण- उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए.
  3. पद्म श्री- विशिष्ट सेवा के लिए.

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