हरिद्वार -:बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा उत्तराखंड में भी उल्लास के साथ मनाया गया। जगह-जगह लंकापति रावण के पुतले का दहन कर एक दूसरे को पर्व की बधाई दी गई। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते बड़े आयोजनों की अनुमति नहीं थी। सीमित संख्या में ही लोगों को मंजूरी दी गई। वहीं, बन्नू बिरादरी ने भी इस साल भव्य आयोजन की जगह सांकेतिक रूप से रावण का पुतला दहन कर दशहरा पर्व मनाया।
दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। हर साल इस दिन लंकापति रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। उत्तराखंड में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें सीमित संख्या में ही लोग मौजूद रहे। बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े दूर से ही रावण दहन को देखते रहे। पंतद्वीप मैदान में 35 फीट ऊंचे रावण और 25 फीट के कुंभकरण का पुतला दहन करने की प्रशासन ने शर्तों के साथ अनुमति दे दी है। शर्तों के अनुसार पुतला दहन सांकेतिक होगा। इसमें दर्शकों के प्रवेश पर प्रतिबंध होगा।पंतद्वीप के अलावा हरिद्वार रामलीला भवन के प्रांगण में भी छह फीट के रावण का पुतला दहन होगा। दोनों जगहों से आयोजक समितियां करेगी लाइव
मिली जानकारी के अनुसार
श्रीराम नाट्स संस्थान के निर्देशक लखन लाल चौहान ने बताया कि भीमगोड़ा रामलीला कमेटी ने रामलीला मंचन और दशहरे पर पुतला दहन की अनुमति के लिए आवेदन किया था। तब रामलीला मंचन की अनुमति नहीं मिली थी। वही देहरादून मे भी करोनो काल को देखते हुए सरकार ने लोगो की भीड़ ना हो सके इसलिए रावण देखने की जानता को अनुमति दी गयी लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेम नगर मंदिर ग्राउंड में आयोजित दशहरा पर्व के अवसर पर मेघनाथ कुंभकरण और रावण के मुंह पर भी मास्क देखने को मिले। कुछ लोग रावण को देखने के लिए दीवारो और ठेले के ऊपर खड़े मिले