उत्तर प्रदेश,1991 से लेकर अब तक ज्ञानवापी परिसर मामले में क्या क्या हुआ किसकी हुई जीत

0
51

हरिद्वार, ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की दलील को मान लिया है. जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश ने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक माना है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. कोर्ट के इस फैसले को लेकर हिंदू पक्ष काफी खुश है.

मिली जानकारी अनुसार कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा करने के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की थी।

हालांकि, कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका ही खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पूजा स्थल कानून 1991 लागू नहीं होता है। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। जिस ज्ञानवापी परिसर का ये विवाद है, उसी में मस्जिद है। मस्जिद के ठीक बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है। दावा है कि इसे औरंगजेब ने एक मंदिर तोड़कर बनवाया था।

काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर कई दावे किए जाते हैं. कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था. मुगल सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने 1585 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निमाण कराया था. 18 अप्रैल 1669 में मुगल आक्रंता औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. इसके बाद मंदिर गिराकर इसकी जगह मस्जिद बना दी गई थी. मस्जिद के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में मौजूदा काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू कराया था.

ज्ञानवापी’ दो शब्दों- ज्ञान और वापी से मिलकर बना है. वापी का मतलब बावली, तालाब या चौड़ा और बड़ा कुंआ होता है. इस प्रकार ज्ञानवापी का मतलब ज्ञान का कुआं हुआ. इसी कुंए की वजह से मस्जिद का नाम ज्ञानवापी पड़ा. कहा जाता है कि एक समय इस स्थान पर गुरुकुल भी चलता था, जहां शिष्यों को वेदांत की शिक्षा दी जाती थी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here