पटना 19 फरवरी( ब्यूरो चीफ परमजीत कौर)बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों को निराधार बताते हुए कहा कि आज महाकुंभ पर अशोभनीय टिप्पणियां वही लोग कर रहे हैं जिनका इतिहास ही सनातन संस्कृति के तिरस्कार पर आधारित तुष्टिकरण के पोषण का रहा है । यही वो लोग हैं जो बंगाल में सनातन की संतानों को हत्या, बलात्कार और लूटपाट के जरिये पीड़ित करते हैं । यही वो लोग हैं जिनके पूर्वज ने कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थी । यही वो लोग हैं जिन्होंने साम्प्रदायिकता और जाति के जहर से वर्षों तक भाई-भाई को लड़ाकर अपनी सत्ता की जागीर को सुरक्षित रखने का प्रयास किया था । सनातन के अपमान से जिनका दामन रंगा है आज वही महाकुंभ को ‘फालतू’ और ‘मृत्युकुम्भ’ कहकर अपमानित कर रहे हैं ।
श्री सिन्हा ने कहा कि महाकुंभ की अपार सफलता इसी बात से साबित होती है कि बीते 35 दिनों में देश और दुनिया के करीब 56 करोड़ लोग अबतक ‘आस्था की डुबकी’ लगा चुके हैं । आर्थिक पैमाने पर भी अगर बात की जाए तो योगी जी की यूपी सरकार ने 7500 करोड़ रुपए व्यवस्था में खर्च किये और करीब 2 लाख करोड़ रुपए का अनुमानित व्यापार वहां हुआ है । महाकुंभ को आज दुनिया भर में हमारी सांस्कृतिक विरासत के महोत्सव के रूप में पहचान मिली । जिससे भारत के ‘ सॉफ्ट पवार’ को नया आयाम मिलने जा रहा है ।
श्री सिन्हा ने कहा कि हमारी संस्कृति और विरासत हमारी पहचान का मूल आधार है । सदियों से इसी सांस्कृतिक एकता के कारण हम अपनी विविधताओं के बीच एक रहे हैं । इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने भी संविधान की मूल प्रति में 5 हजार साल और 12 प्रमुख ऐतिहासिक खंडों की ऐतिहासिक विरासत को चित्रों और भावों के माध्यम से संयोजित किया था । आज उसी मूलमंत्र पर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देशभर की डबल इंजन सरकारें ‘विरासत के साथ विकास’ की परिपाटी को आगे बढ़ा रही है ।
श्री सिन्हा ने कहा कि बीते एक दशक में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ, महाकाल मंदिर(उज्जैन) और श्री केदारनाथ मंदिर का नवीनीकरण हुआ । सिख समुदाय की आस्था के प्रतीक पर्व ‘वीर बालक दिवस’ को राजकीय पर्व के रूप में मनाया जाने लगा । बौद्ध, जैन और सूफी पर्यटन सर्किट को विकसित करने की पहल हुई । जनजातीय अस्मिता के प्रतीक भगवान बिरसा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मान्यता मिली । बाबा साहेब के जीवन से जुड़े स्थलों को ‘पंच तीर्थ’ के रूप में विकसित किया गया । बीते बजट में हमारे विशाल पांडुलिपियों के धरोहर को संरक्षित करने के लिए ‘ज्ञान भारतम मिशन’ शुरू किया गया है । राज्य स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हम पुरातत्व से लेकर प्रदर्शन कला तक और लोककला से लेकर हर शास्त्रीय कलाओं को सुरक्षित और संवर्धित करने में जुटे हैं । क्योंकि हमारा स्पष्ट मनना है कि विरासत की नींव पर टिका विकास ही सतत और स्थायी हो सकता है ।