हरिद्वार, आज हिंद सेना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री चंद्रभान सिंह परिहार ने रामअवतार बघेल को मध्य प्रदेश युवा ब्रिगेड शिवपुरी कार्यकारी जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया रामअवतार बघेल शुरू से ही देश सेवा में अपनी रुचि रखते हैं वही देश हित के लिए कार्य करते हैं और समाज सेवा में होने वाले कार्यक्रम में भी अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं राष्ट्रहित में समर्पित एवं सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही राष्ट्रीय संगठन हिन्द सेना से अब बुद्धिजीवी काम काजी एवं ग्रहणी महिलाओं तथा आदिवासियों व दलितों को भी बड़े पैमाने पर जोडा जा रहा है ।
हिंदसेना के मुख्य उददेश्य) समाज सेवी संस्था हिंदसेना के मुख्य उददेश्य एवं कार्य इस प्रकार है।( 1 )युवाओं में राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित कर उन्हें देश के प्रति जवाबदेह बनाना (2) केंद्र व राज्य सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं से लोगों को अवगत कराकर उन्हें लाभ दिलाना प्रतिभाओ को उभारना (3) महिला दलित उत्पीड़न रोकना दहेजप्रथा बालविवाह बालश्रम रोकना गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण पर रोक के लिए जमीनी पहल करना निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह कराना (4) छुआछूत व जातिवाद के खात्मे की पहल( 5 )गरीबो को निशुल्क विधिक सहायता (6) नशाबंदी व स्वच्छता के लिए जागरुता (7) अभियान पौधारोपण शिक्षा का प्रसार भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान।
सुभाष चंद्र बोस देश के उन महानायकों में से एक हैं और हमेशा रहेंगे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. सुभाष चंद्र बोस के संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था. महानायक सुभाष चंद्र बोस को ‘आजादी का सिपाही’ के रूप में देखा जाता है साथ ही उनके जीवन के वीरता के किस्सों के साथ याद किया जाता हैभारत का सबसे श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी माने जाने वाले सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. उन्होंने आजाद हिंद फौज के नाम से पहला भारतीय सशस्त्र बल बनाया था. उनके प्रसिद्ध नारे ‘तुम मुझे खून दो, मैं तूम्हें आजादी दूंगा’ ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे उन तमाम भारतीयों के दिल में देशभक्ति पैदा कर दी थी. आज भी ये शब्द भारतीयों को प्रेरणा देते हैं.
आज़ाद हिन्द फौज का गठन पहली बार राजा महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में हुआ था। मूल रूप से उस वक्त यह आजाद हिन्द सरकार की सेना थी, जिसका लक्ष्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाना था। जब दक्षिण-पूर्वी एशिया में जापान के सहयोग द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने करीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया और उसे भी आजाद हिन्द फौज नाम दिया तो उन्हें आज़ाद हिन्द फौज का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी